Thursday, December 19, 2013

ईश्वर ने जब इंसान को बनाया होगा,
संवेदनाओं के सृजन का ख़याल आया होगा,
पर उसने कभी न सोचा होगा की ऐसा गजब हो जाएगा,
इंसान पैदा तो इंसान होगा पर बढ़ के पत्थर बन जाएगा |


दूसरों के दर्द का उसपे असर ना आजकल ,
खून के रिश्तों को फीका कर रहा वो आजकल ,
स्वार्थ सिद्धि मे इंसान इतना खो गया,
क्या बताउ आजकल वो कितना निर्मम हो गया||

इंसान का ये आचरण बिल्कुल समझ नही आता है,
खुशियों से भागकर खुशियाँ ढूँढने जाता है,
चन्द भौतिक वस्तुओं को खुशियाँ समझ बैठा है जो,
एक दिन उनके ही बीच तन्हा खड़ा रह जाता है||

मूर्खता का इससे बड़ा प्रमाण क्या कहलाता है,
अपने लिए क़ैद का निर्माण कर वो इतराता है,
फिर उसी क़ैद मे खुद को फँसा जब पाता है,
उससे उम्दा क़ैद का निर्माण करता जाता है ||

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