Friday, December 7, 2018

दिल के दर्द का आँखो में उतरना जरूरी है क्या
कुछ खो जाए तो उसे ढूँढना जरूरी है क्या

रास्ते ही मंज़िल हैं जब बात समझ आती है
ज़िन्दगी रेत सी हाथों से फिसल जाती है
उड़ चुकी रेतों के महल बनाना जरूरी है क्या
कुछ खो जाए तो उसे ढूँढना जरूरी है क्या


तू भी है, मैं भी हूँ, पर कोई नहीं
मैं तो था पर शायद आज मैं भी नहीं
खुद में ही ख़ुद को ढूँढना जरूरी है क्या
कुछ खो जाए तो उसे ढूँढना जरूरी है क्या 

Thursday, July 14, 2016

न जाने कब से बचा के रखा था
टूट गया.... चलो अच्छा हुआ।
जो पास ही रहता तो दिल में दर्द भी होता
कोई लूट गया.... चलो अच्छा हुआ।
कितने किस्से कितने झूठे वादे झेल गये हम
हम ने ज़रा सा सच क्या बोला
हर कोई हमसे रूठ गया.... चलो अच्छा हुआ।
तुमने ही तो दिखाई थी सपनों सी वो दुनिया
शीशों के रिश्ते थे ख्वाबों का बुलबुला था
फूटना ही था, फूट गया.... चलो अच्छा हुआ।
बेकार उम्मीदें थी, सदियों का तमाशा था
सब छूट गया.... चलो अच्छा हुआ।
तुझे भूलने की कोई कोशिश रही न बाकी तो आया है काम साकी
भूला मैं तेरा सब कुछ ज्यों ही अन्दर दो घूँट गया.... चलो अच्छा हुआ।। 

Wednesday, December 31, 2014

इस फैले हुए सन्नाटे में देखो तो,
हर किसी का दूर कहीं एक तनहा नीड है,
हर पल यहाँ शुन्य सा जीवन है या फिर सन्नाटा ,
फिर भी लोग कहते हैं यहाँ भीड़ ही भीड़ है ॥
तेरी मुस्कान की जो एक झलक देखी है,
दिल में मीठी सी चुभन और कसक देखी है,
 तू जो हँसती है तो बज उठते हैं घुंघरू कितने ,
तेरे हंसने में वो बेबाक खनक देखी  है  ॥

तेरे आँखों के प्यालों में है हल्का सा नशा ,
रूह से चख लूँ तो मदहोश हुआ जाता हूँ,
निगाहें चार जो कर ले तो खुद को ही खो दूँ मैं,
तेरी आँखों में वो मद मस्त चमक देखी  है ॥

तू जो बलखाये तो हिरणों को भी पानी कर दे ,
तेरी हर एक अदा में वो चहक देखी है ,
भर लूँ आगोश में जो तुझको तो खिल जाऊं मैं,
तेरे जुल्फों से उठती वो महक देखी है॥

तू करीब आये और मुझसे बस दो बात करे ,
दिल आज भी बस इसी इंतज़ार में है,
ऐ हसीं तू बेशक इजहार -ए -इश्क़ न कर,
तेरी निगाहों में मैंने वो एक कसक देखी है ॥


तेरी जुल्फें  यूँ लहरातीं हैं जैसे
काली घटायें सुखी ज़मीं को नहला रहीं हैं,
तेरी नज़रो का है ये जादू या ,
ठंडी हवा जबीं को सहला रहीं हैं ,
न जाने क्यों हवाओं को हथेलिओं में भरने निकला हूँ मैं,
उन्हें जितना ही समेतुं वो और फिसलती जा रहीं हैं ॥

लोग पूछते हैं तेरी तस्वीर में क्या ढूंढता हूँ मैं ,
वो अनपढ़ हैं इस किताब को क्या  ख़ाक पढ़ेंगे  ॥

Thursday, December 19, 2013


आज मुझको रास्ते मे देश मेरा मिल गया,
बोला तेरे दिल मे मुझको एक कोना चाहिए,
अबतक रोया बहुत है खुद के लिए,
अब थोड़ा तुझको मुझपर भी रोना चाहिए |

भर रहा था दूसरों का पेट जो,
वो बेचारा भूख से ही मर गया,
लाश पर उसकी कोई सियासत ना कर सके,
देश मे ऐसा कड़ा क़ानून होना चाहिए|

हाथ मे तेरी वो रोटी देख कर ललचाता है,
फेंक दी तूने जो रोटी बीन कर वो ख़ाता है,
वो भूख की निर्मम व्यथा को जी सके,
रोटी का ऐसा कोई कूड़ेदान होना चाहिए  |

सोचते हो की तुम बहुत तरक्की कर गये,
नारी की इज़्ज़त ना रखी उसका सौदा कर गये,
बिक गयी वो आज खुद ही बीच बाज़ार मे,
क्यूकी उसके बच्चे को एक खिलोना चाहिए |

रुपया पैसा सब है पर इंसान निर्धन हो गया,
भूख अपनी बढ़ गयी और दिल ये छोटा हो गया,
आज तो इंसान बस अपने लिए ही जी रहा,
इंसान को भी थोड़ा तो इंसान होना चाहिए||