आज मुझको रास्ते मे देश मेरा मिल गया,
बोला तेरे दिल मे मुझको एक कोना चाहिए,
अबतक रोया बहुत है खुद के लिए,
अब थोड़ा तुझको मुझपर भी रोना चाहिए |
भर रहा था दूसरों का पेट जो,
वो बेचारा भूख से ही मर गया,
लाश पर उसकी कोई सियासत ना कर सके,
देश मे ऐसा कड़ा क़ानून होना चाहिए|
हाथ मे तेरी वो रोटी देख कर ललचाता है,
फेंक दी तूने जो रोटी बीन कर वो ख़ाता है,
वो भूख की निर्मम व्यथा को जी सके,
रोटी का ऐसा कोई कूड़ेदान होना चाहिए |
सोचते हो की तुम बहुत तरक्की कर गये,
नारी की इज़्ज़त ना रखी उसका सौदा कर गये,
बिक गयी वो आज खुद ही बीच बाज़ार मे,
क्यूकी उसके बच्चे को एक खिलोना चाहिए |
रुपया पैसा सब है पर इंसान निर्धन हो गया,
भूख अपनी बढ़ गयी और दिल ये छोटा हो गया,
आज तो इंसान बस अपने लिए ही जी रहा,
इंसान को भी थोड़ा तो इंसान होना चाहिए||
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