Thursday, July 14, 2016

न जाने कब से बचा के रखा था
टूट गया.... चलो अच्छा हुआ।
जो पास ही रहता तो दिल में दर्द भी होता
कोई लूट गया.... चलो अच्छा हुआ।
कितने किस्से कितने झूठे वादे झेल गये हम
हम ने ज़रा सा सच क्या बोला
हर कोई हमसे रूठ गया.... चलो अच्छा हुआ।
तुमने ही तो दिखाई थी सपनों सी वो दुनिया
शीशों के रिश्ते थे ख्वाबों का बुलबुला था
फूटना ही था, फूट गया.... चलो अच्छा हुआ।
बेकार उम्मीदें थी, सदियों का तमाशा था
सब छूट गया.... चलो अच्छा हुआ।
तुझे भूलने की कोई कोशिश रही न बाकी तो आया है काम साकी
भूला मैं तेरा सब कुछ ज्यों ही अन्दर दो घूँट गया.... चलो अच्छा हुआ।। 

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