Wednesday, December 31, 2014

इस फैले हुए सन्नाटे में देखो तो,
हर किसी का दूर कहीं एक तनहा नीड है,
हर पल यहाँ शुन्य सा जीवन है या फिर सन्नाटा ,
फिर भी लोग कहते हैं यहाँ भीड़ ही भीड़ है ॥
तेरी मुस्कान की जो एक झलक देखी है,
दिल में मीठी सी चुभन और कसक देखी है,
 तू जो हँसती है तो बज उठते हैं घुंघरू कितने ,
तेरे हंसने में वो बेबाक खनक देखी  है  ॥

तेरे आँखों के प्यालों में है हल्का सा नशा ,
रूह से चख लूँ तो मदहोश हुआ जाता हूँ,
निगाहें चार जो कर ले तो खुद को ही खो दूँ मैं,
तेरी आँखों में वो मद मस्त चमक देखी  है ॥

तू जो बलखाये तो हिरणों को भी पानी कर दे ,
तेरी हर एक अदा में वो चहक देखी है ,
भर लूँ आगोश में जो तुझको तो खिल जाऊं मैं,
तेरे जुल्फों से उठती वो महक देखी है॥

तू करीब आये और मुझसे बस दो बात करे ,
दिल आज भी बस इसी इंतज़ार में है,
ऐ हसीं तू बेशक इजहार -ए -इश्क़ न कर,
तेरी निगाहों में मैंने वो एक कसक देखी है ॥


तेरी जुल्फें  यूँ लहरातीं हैं जैसे
काली घटायें सुखी ज़मीं को नहला रहीं हैं,
तेरी नज़रो का है ये जादू या ,
ठंडी हवा जबीं को सहला रहीं हैं ,
न जाने क्यों हवाओं को हथेलिओं में भरने निकला हूँ मैं,
उन्हें जितना ही समेतुं वो और फिसलती जा रहीं हैं ॥

लोग पूछते हैं तेरी तस्वीर में क्या ढूंढता हूँ मैं ,
वो अनपढ़ हैं इस किताब को क्या  ख़ाक पढ़ेंगे  ॥